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ज़ौक ए सुखन

कि पूरी ज़िंदगी जीने के लिए..
यकीनन कुछ मुझे करना होगा..
बड़े सुकून से मरना है तो फ़िर,
ख्वाहिशों से मुझे डरना होगा..

मैं बेहती फिज़ाओं सी तो नहीं,
जिसे हर पल में बिछड़ना होगा..
मेरा ये हाथ थामने के लिए,
शर्त है दूर तक चलना होगा..

परवाना प्यार निभाने के लिए,
बड़े ही शौक़ से निकलता है..
खबर ये उसको भी तो है लेकिन,
उसे इस प्यार में जलना होगा..

मीनारें चीख कर ये कहती हैं,
मंजिलें दूर हैं इन रास्तों से..
तुझे आना है गर इस पार तो फ़िर,
कुछ दूर यूं ही चलना होगा..

मेरे दिल में बहुत सी खिड़कियां हैं
मिजाज़ हैं मेरे खानाबदोशी..
मगर सीखा है मैंने फाख्ता से,
कहीं इक रोज़ ठहरना होगा..

शायरा अंसारी "तबस्सुम" 

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